हिंगलाजगढ़ किला भानपुरा( मध्य प्रदेश) जिला मन्द्सोर ग्यारहवी शताब्दी में मालवा पर शासन करने वाले परमार राजाओं ने मंदसौर से 165 और भानपुरा से 26 किमी दूर एक अद्भुत किले का निर्माण कराया था। आज यह किला खंडहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन इसकी बनावट और शिल्पकारी को देख वैभव के चरमकाल में इसकी बुलंदियों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। किले में गुप्त और परमार काल की चौथी और पांचवीं शताब्दी की मूर्तियां जहां इसके अद्वितीय मूर्तिशिल्प को दर्शाती हैं, वहीं किले में बने विभिन्न भवन इसके सामरिक महत्व को भी प्रदर्शित करते हैं। इस सबसे बढ़कर किले से रहस्य और रोमांच की एक अलहदा कहानी भी जुड़ी है।मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील के नावली गांव में पहाड़ी पर बना हुआ है प्राचीन हिंगलाजगढ़ किला। परमार काल में यह किला अपने वैभव के चरम पर था। किले में विभिन्न कालखंडों की प्रस्तर मूर्तिशिल्प कलाकृतियां आज भी मौजूद हैं। हिंगलाजगढ़ किला लगभग 800 वर्षों तक मूर्तिशिल्प कला का केंद्र रहा है। इस किले में मिली मूर्तियां गुप्त और परमार काल की हैं।किले में मिली सबसे पुरानी मूर्तियां तो लगभग 1600 साल पुरानी हैं और चौथी व पांचवीं शताब्दी की मानी जाती हैं। यहां से नंदी और उमा-महेश्वर की प्रतिमाओं को फ्रांस और वाशिंगटन में हुए इंडिया फेस्टीवल में भी भेजा गया था। जहां यह मूर्तियां अंतरराष्ट्रीय मंच पर वाहवाही लूटने में कामयाब रहीं थीं। हिंगलाजगढ़ किले का निर्माण ग्यारहवीं शताब्दी में परमार कालिन राजाओं ने किया था। इसके बाद यहां चंद्रावतों का शासन आया तो यह खंडहरों में तब्दील हो गया। किले में मिले पाली लिपी में लिखे प्राचीन शिलाखंड मिले हैं, जो इस किले के प्राचीन इतिहास के बारे में बताते हैं। इसके अनुसार सैकड़ों वर्ष पहले चित्तौड़ पर शासन करने वाली तक्ष या तक्षक जाति का संबंध मोरी जनजाति से था। परमार इसी मोरी जनजाति के वंशज थे। सियालकोट (वर्तमान में पाकिस्तान में है) पर 515 से 540 के बीच शासन करने वाले हूण साम्राज्य का विनाश कर दिया था। (भानपुरा मेरी जान) बाद में इन हूणों ने तक्षकों को पराजित कर चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया और यहीं से हिन्दू स्वातंत्र्य पर इस्लाम की तलवार लहराने लगी।परमार काल में हिंगलाजगढ़ दुर्ग सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण था और परमारों ने इसे मजबूत बनाने का काम किया। 1281 में हाड़ा शासक हालू ने इस किले पर कब्जा कर लिया और बाद में यह किला चंद्रावत शासकों के अधीन आ गया। 1773 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने लक्ष्मण सिंह चंद्रावत को पराजित कर किले पर आधिपत्य जमा लिया। अहिल्याबाई होलकर काल में इस किले की कई इमारतों का नवीनीकरण किया गया, जिसमें हिंगलाज माता मंदिर, राम मंदिर और शिव मंदिर प्रमुख हैं। हालांकि इस किले पर कई राजवंशों ने आधिपत्य जमाया, लेकिन किसी ने भी इसे अपनी स्थायी राजधनी नहीं बनाया। बल्कि इस किले का उपयोग छुपने या अपनी ताकत बढ़ाने की जगह के रूप में अधिक किया। यशवंतराव होलकर ने इसका पुन निर्माण कराया। देवालयों, मठों एवं रहवासी मकानों के पत्थरों का उपयोग किया और इस किले को छावनी के रूप में इस्तेमाल किया।हिंगलाजगढ़ दुर्ग का निर्माण सामरिक महत्व के अनुसार किया गया था। इसमें चार पाटनपोल, सूरजपोल, कटरापोल और मंडलेश्वरी पोल के नाम से चार दरवाजे हैं। पहले तीन दरवाजे पूर्वमुखी और मंडलेश्वरी दरवाजा पश्चिम मुखी है। किले में पानी की पूर्ति के लिए सूरजकुंड नामक जलाशय भी बनवाया गया था।ऐतिहासिक महत्व के हिंगलाजगढ़ दुर्ग का पुनरुत्थान होगा। मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में सुदृढ़ जंगलों में एक ऐसी जगह है जहां पत्थरों में भी प्राण बसे हैं । यह है एतिहासिक हिंगलाजगढ़ जहां कदम-कदम पर प्राचीन मूर्तियां सैलानियों से बाते करती सी लगती हैं । पश्चिम मालवा की भानपुरा तहसील के ग्राम नामली से 14 कि.मी. दूर स्थित हिंगलाजगढ़ से प्राप्त पाषाण कला कृतियाँ प्रदेश के संग्रहालयों में ही नहीं अपितु विदेशों में आयोजित भारत महोत्सव में अपनी कला की अमिट छाप छोड़ चुकी हैं। यहाँ से प्राप्त कला कृतियाँ गुप्त काल से लेकर 14 ई. के मध्य की होकर अपनी पृथक पहचान रखती है। हिंगलाजगढ़ दुर्ग परमार कला की गतिविधियों के अतिरिक्त ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा है। यह प्रामाणिक रूप से नहीं कहा जा सकता हिंगलाजगढ़ दुर्ग कितना प्राचीन है क्योंकि इसके ऐतिहासिक व अभिलेखीय साक्ष्य प्राप्त नहीं हो सके हैं। प्रतिमा शास्त्र के आधार पर यहाँ से प्राप्त प्राचीनतम प्रतिमायें 5-6वीं शताब्दी की हैं।
राज्य संरक्षित हिंगलाजगढ़ किला प्रदेश का महत्वपूर्ण पुरा-स्मारक है। यह भानपुरा से लगभग 30 कि.मी. वन क्षेत्र में है। यहाँ अभयारण्य क्षेत्र से होकर पहुँचना पड़ता है। मन्दसौर जिले के इस ऐतिहासिक किले और यहाँ के अद्भुत पाषण शिल्पों के अवलोकन के लिए बड़ी संख्या में इतिहास प्रेमी और पर्यटक आते रहते हैं। संचालनालय पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय मध्यप्रदेश द्वारा हिंगलाजगढ़ के ऐतिहासिक किले की क्षतिग्रस्त दीवारों और किले के महत्वपूर्ण हिस्सों की मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। यहाँ पर्यटकों के विश्राम, पेयजल जैसी आवश्यक सुविधाओं का इंतजाम भी कराया जा रहा है। किले में स्थित कचहरी महल, सूरजपोल, कटारापोल, पाटनपोल, मन्डे.ारी गेट व सूरजकुण्ड के अनुरक्षण, सुरक्षा आवश्यक विकास कार्य कराए जा रहे हैं।
रामपुरा के चन्द्रावत राजाओं के पाटनामें में 1688 ईस्वी में इसका उल्लेख एक हवेली के रूप में किया गया है। सत्ता संघर्ष 1520-1752 तक हिंगलाजगढ़ निर्वासित राजाओं की राजधानी रहा। 18वीं शताब्दी के 8वें दशक में मराठों के कब्जे में आया व इसका जीर्णोध्दार किया गया। उनके काल में दुर्ग की दीवारों का जीर्णोध्दार, हिंगलाज माता मंदिर, राम मंदिर, शिव मंदिर, कचहरी, बारा दरी रानी महल आदि का निर्माण कराया गया, जो आज हमारे कला वैभव की अमिट थाती है। हिंगलाजगढ़ का किला मध्यप्रदेश व राजस्थान की सीमा पर स्थित है। लगभग 300 फीट गहरी व 10 किलोमीटर अर्ध्दवृत्ताकार खाई से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र में सर्वत्र प्राचीन मंदिरों, मठों, बस्तियों व शिल्प के अवशेष प्राप्त होते हैं। जिससे स्पष्ट है कि किसी समय यह स्थान एक महत्वपूर्ण शिल्पकला का केन्द्र था। यहां चारों ओर बिखरी प्रतिमाओं के अध्ययन व एकत्रीकरण से यह महत्वपूर्ण पुरा स्थल प्राचीन शिल्प कला की अपनी विशिष्टता के लिए वि.ा विख्यात हो चुका है।
हिंगलाजगढ़ मूलत: शक्ति पीठ है। यहाँ से प्राप्त देवी प्रतिमायें शक्ति के विविध स्वरूपों को दर्शाती हैं। यहाँ से प्राप्त देवी प्रतिमाओं में गौरी प्रतिमाओं की बाहुल्यता है। गौरी के जितने रूप इस कला केन्द्र से प्राप्त हुये हैं अन्यत्र समकालीन किसी भी कला केन्द्र से प्राप्त नहीं हुये हैं। यहाँ से सप्तमातृकाओं की एकाकी प्रतिमायें भी प्राप्त हुई हैं। इसके साथ ही जब शकित मान्यताओं में तान्त्रिक पूजा का समावेश हुआ तो हिंगजालगढ़ में योगिनी प्रतिमायें भी कलाकार द्वारा निर्मित की गयी। जिसके फलस्वरूप हमें हिंगलाजगढ़ क्षेत्र में अपराजित, वैनायकी, काव्यायनी, भुवने.ारी, बगलामुखी आदि देवियों की प्रतिमायें प्राप्त हुई।
शैव धर्म की विविध मान्यतायें इस काल में शिव के विविध रूपों के अंकन में सहायक रही जो कलाकार की प्रेरणा का स्त्रोत्र रहीं। जिसके प्रतिफल में हमें यहाँ से शिव के विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमायें प्राप्त होती हैं। यथा अर्ध्द नारी.ार, शिव, लकुलीश, वैद्यनाथ, सदाशिव, वीणाधर, नटराज आदि।
वैष्णव प्रतिमाओं में विष्णु के विविध स्वरूपों की प्रतिमाएें भी हिंगलाजगढ़ क्षेत्र से प्राप्त हुई हैं। इनमें लक्ष्मीनारायण, योग नारायण, गरूड़ासीन विष्णु, वामन, नृसिंह आदि प्रमुख हैं। विविध सम्प्रदायों की आपसी प्रतिस्पर्धा से मध्यम मार्ग की कल्पना के संयुक्त स्वरूपों की कल्पना हुई जिसके कारण कलाकार ने भी अपनी कला में इन विचारों की अभिव्यक्ति प्रतिमाओं के माध्यम से की। यथा हरिहर, हरिहरार्क, हरिहरार्क पितामह आदि। यहाँ से सूर्य तथा आदि अनेक देवी-देवताओं की प्रतिमायें भी यथेष्ठ मात्रा में प्राप्त हुई हैं। जो कलाकार की विशाल मानसिकता की परिचायक हैं जिनें अष्टदि्कपाल कार्तिकेय, गणेश आदि प्रमुख हैं।
जैन धर्म का अपना स्वतन्त्र पक्ष है। हिंगलाजगढ़ की कला में इस धर्म को यथेष्ठ स्थान मिला यहाँ से प्राप्त जैन तीर्थकर पतिमाओं में शांतिनाथ, पर्ा.ानाथ, सुपर्ा.ानाथ, चन्द्रप्रभु आदि की प्रतिमायें प्रमुख हैं। शास्त्रय व अभिवियों की प्रतिमाओं में गो मेद अम्बिका की प्रतिमा महत्वपूर्ण है।
बहनों के खाते में इस Date से आने लगेंगे ₹1000 महीना ये Documents फटाफट कर ले तैयार
वर्ष 2023 मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनावी बरसा है। अभी से सत्ता पक्ष और विपक्ष प्रदेश की जनता को लुभाने उनके लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा कर रहे हैं।
हाल के दिनों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की सभी बहनों के लिए लाडली बहन योजना संचालित करने का ऐलान किया था। जिसके माध्यम से हर महीने महिलाओं के खाते में 1000 रुपए डाले जाने हैं।
सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि इसके लिए लगभग तैयारी पूरी हो चुकी है। अब मुख्यमंत्री प्रदेश की हर बहन को 1000 रुपए महीने की आर्थिक मदद देंगे
कब से शुरू होगी योजना सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिल रही है कि लाडली बहन योजना का मुख्यमंत्री बहुत जल्दी शुभारंभ करेंगे। अनुमान लगाया जा रहा है
कि विश्व महिला दिवस 8 मार्च को है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस योजना को अमल मे लाते हुए महिलाओं को लाभान्वित कर सकते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि 8 मार्च के पहले सरकार इस दिशा में कार्य करना शुरू कर देगी।
जून से आएंगे बहनों के खातों में पैसे
MP Ladli Behan Yojana me kitne paise milenge Ladli Behna Yojana Registration Process बताया गया है कि 8 मार्च को महिला दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री इस योजना को मूर्त रूप दे सकते हैं।
आवेदन प्रक्रिया पूर्ण करने में कुछ समय लगेगा लेकिन 2 महीने के अंदर पूरी प्रक्रिया पूरी कर जून के महीने से हितग्राही महिलाओं के खाते में पैसे डाले जाएंगे।
पात्रता के साथ आवश्यकता पर होगा फोकस MP
Ladli Behan Yojana Documents मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का कहना है कि इस योजना के लिए प्रदेश की सभी महिलाएं पात्र हैं।
जिन महिलाओं के द्वारा आयकर नहीं दिया जाता है उन्हें इसका लाभ दिया जाएगा। खास तौर पर गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली बहनों को कोई भी कागजात नहीं देना पड़ेगा।
सबसे बड़ी बात है कि इस योजना का लाभ पात्रता के साथ-साथ आवश्यकता पर भी ध्यान दिया जाएगा। कई बार हम जिन्हें अपात्र मान लेते हैं लेकिन उक्त सहायता की आवश्यकता उन्हें भी होती है। इसलिए आवश्यक है कि पात्रता के साथ ही आवश्यकता पर भी फोकस किया जाए।
माँ अर्थात शक्ति का स्वरूप, जो अपने अलग-अलग रूपों में प्रकट होकर भक्तों के दुख दूर करती है फिर चाहे वह त्रिकुट पर्वत पर विराजीत माँ वैष्णवी हो, पावागढ़ वाली माता हो या फिर महामाया भादवा माता ही क्यों न हो। माता का हर रूप चमत्कारी व मनोहारी है, जिसके दर्शन मात्र से ही मन प्रसन्न हो जाता है तथा माता की भक्ति में रम जाता है।
हमारे देश में कई प्रमुख धार्मिक स्थल हैं, जहाँ माता चमत्कारी मूर्ति के रूप में विराजमान हैं। माता की एक ऐसी ही चमत्कारी मूर्ति है 'भादवा माता धाम' में। मध्यप्रदेश के नीमच से लगभग 18 किमी की दूरी पर स्थित माँ भादव ा का मंदिर एक विश्वविख्यात धार्मिक स्थल है। जहाँ दूर-दूर से लकवा, नेत्रहीनता, कोढ़ आदि रोगों से ग्रसित रोगी आते हैं व निरोगी होकर जाते हैं।
माँ भादवा की मनमोहक प्रतिमा
भादवा माता के मंदिर में सुंदर चाँदी के सिंहासन पर विराजित हैं माँ की चमत्कारी मूर्ति। इस मूर्ति के नीचे माँ नवदुर्गा के नौ रूप विराजित हैं। कहते हैं मूर्ति भी चमत्कारी है व उससे ज्यादा चमत्कारी वो ज्योत है, जो कई सालों से अखंडित रूप से जलती जा रही है। यह ज्योत कभी नहीं बुझी और माँ के चमत्कार भी कभी नहीं रूके। आज भी यह ज्योत माँ की प्रतिमा के समीप ही प्रज्ज्वलित हो रही है।
यहाँ होते है चमत्कार
माता के इस मंदिर में आपको साक्षात चमत्कार देखने को मिलेंगे। देश के अलग-अलग इलाकों से यहाँ लकवाग्रस्त व नेत्रहीन रोगी आते हैं, जो माँ के मंदिर के सामने ही रात्रि विश्राम करते हैं। बारह महीने यहाँ भक्तों का जमावड़ा रहता है। मंदिर परिसर में आपको इधर-उधर डेरा डाले कई लकवा रोगी देखने को मिल जाएँगे, जो निरोगी होने की उम्मीद से कई मीलों का सफर तय करके भादवा धाम आए हैं।
कहा जाता है कि रोज रात को माता मंदिर में फेरा लगाती हैं तथा अपने भक्तों को आशीष देकर उन्हें निरोगी करती हैं। कई लोग यहाँ आए तो दूसरों के कंधों के सहारे परंतु गए बिना किसी सहारे के अपने पैरों पर।
जब से मंदिर है तब से यहाँ प्राचीन बावड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि माता ने अपने भक्तों को निरोगी बनाने के लिए जमीन से यह जल निकाला था और कहा था कि मेरी इस बावड़ी के जल से जो भी स्नान करेगा, वह व्यक्ति रोगमुक्त हो जाएगा। मंदिर परिसर में स्थित बावड़ी का जल अमृत तुल्य है। माता की इस बावड़ी के चमत्कारी जल से स्नान करने पर समस्त शारीरिक व्याधियाँ दूर होती है
मुर्गे और बकरे करते है माँ का गुणगान :-
अपनी मुराद पूरी होने पर इस मंदिर में जिंदा मुर्गे व बकरे छोड़कर जाने का भी चलन है। इसके अलावा यहाँ चाँदी व सोने की आँख, हाथ आदि भी माता को चढ़ाए जाते हैं। यह सब निर्भर करता है आपकी ली गई मन्नत पर।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जब भादवा माँ की आरती होती है तब ये मुर्गा, कुत्ता, बकरी आदि सभी जानवर तल्लीनता से माँ की आरती में शामिल होते हैं। आरती के समय आपको मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ में कई मुर्गे व बकरी घूमते हुए दिख जाएँगे।
नवरात्रि पर मचती है धूम
प्रतिवर्ष चैत्र और कार्तिक माह में नवरात्रि पर भादवा माता मंदिर परिक्षेत्र में विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें शामिल होने दूर-दूर से भक्त आते हैं। कुछ भक्त अपने पदवेश त्यागकर नंगे पैर माँ के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। नवरात्रि पर विशेष रूप से माँ भादवा के धाम तक की कई बसे चलती हैं।
माँ कभी अपने भक्तों में भेदभाव नहीं करती। इसका उदाहरण माँ भादवा का मंदिर है। यहाँ अमीर हो या गरीब, मानव हो या पशु सभी मंदिर परिसर में माँ की मूर्ति के समक्ष रात्रि विश्राम करते हैं तथा सच्चे मन से एक साथ माँ का गुणगान करते हैं। माँ भादवा हमेशा अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें तथा हमारे मन मंदिर में आस्था का केंद्र बनकर विराजित रहें। यही कामना है।
भानपुरा::-- अनादिकाल से आद्य शक्ति के रूप में दुधाखेड़ी माँ के मंदिर के महत्व मालवा, मेवाड़ व हाड़ोती अंचल के सुदूर गाँव में सुप्रतिष्ठित है। मन्दसौर जिले के तहसील भानपुरा से गरोठ रोड पर 10 किलोमीटर दूर दुधाखेड़ी माताजी का यह दिव्य मंदिर स्थित है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। माताजी पंचमुखी रूप में विराजित है। प्रतिमा के सम्मुख अतिप्राचीन एक अखण्ड ज्योत प्रज्वलित है।
लोक मान्यता है कि पौराणिक नरेश मोरध्वज की आराध्या देवी थी। स्थापत्य इतिहास की दृष्टि से 13 वीं सदी से निरंतर यहाँ पूजा अर्चना का प्रमाण मिलता है। मराठाकाल में लोकमाता अहिल्याबाई ने धर्मशाला बनवाई। कोटा के मुहासिब आला, झाला जालिम सिंह की यह आराध्या देवी रही। इन्होंने यहाँ धर्मशाला व ग्वालियर नरेश सिंधियाँ ने भी यहाँ धर्मशाला बनवाई। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं। लकवा बीमारी से पीड़ित यहाँ स्वास्थ्य लाभ लेते देखे जाते हैं। दैहिक, दैविक और भौतिक कष्ट का निवारण होता है। 40 वर्ष पूर्व आकाश से बिजली गिरने से हुए चमत्कार के कारण प्रचलित बलि प्रथा हमेशा के लिए बंद हो गई। और उसके बाद श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई। दोनों नवरात्री में मेला लगता है। लाखों श्रद्धालु धर्म लाभ प्राप्त करते हैं।
प्रबंध समिति की और से मुर्गा व बकरा चिन्ह अंकित चाँदी के सिक्के श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध रहते हैं। धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से मालवा अंचल का यह बेजोड़ स्थल है।
दुधाखेड़ी माता जी का पहले प्राचीन मंदिर था जिसके स्थान पर भव्य नवीन मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है , यहाँ नवरात्रों के शुभ अवसर पर अध्यात्मिक एवं धार्मिक उत्सवों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, जिसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं पुरे देश से माँ भगवती के असंख्य भक्तजन परिवार सहित दर्शनार्थ पहुँचते हैं।
दुधाखेड़ी माता जी भानपुरा से 12 कि. मी. दुर और गरोठ से 16 कि. मी. दुर स्थित है। नवरात्रि के समय दुधाखेड़ी माताजी के नौ रूप देखने को मिलते हैं। रोज नये रूप मे माता जी अपने भक्तों को दर्शन देती है।(भानपुरा मेरी जान ) मान्यता है कि माता की मूर्ति इतनी चमत्कारी है कि कोई भी भक्त उनसे आँख नहीं मिला पाता है। यहाँ पर जबसे मन्दिर बना है तब से एक अखण्ड जोत भी चल रही है। कई किलोमीटर लम्बी यात्रा करके भक्त यहाँ आते हैं।
इन्दौर की महारानी अहिल्या देवी ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया था और झालावाड़ के पूर्व महाराजा जालिम सिंह भी यहां पर पूजा अर्चना करने आते थे। माता की पाँच मूर्तियाँ विराजित है, रावत मीणा भाट की पोथी के अनुसार प्राचीन समय मे दुधा जी रावत जो मोडि मे बसते थे माता जी के बडे भक्त थे , उनको माता ने स्व्प्न दिया था , कि आगे आने वाले समय मे परिवर्तन होने वाला है , इस कारण में अपना स्थान यहाँ से अन्यत्र बदलना चाहती हूँ, उस समय में जहाँ आज माता का मन्दिर है भयंकर वन था उस वन में एक व्यक्ति वन काट रहा था उसी समय एक स्त्री की आवाज उसको सुनाइ दी कि हरे वन काटना महा पाप है एक वन काट्ना 35 लाख मनुष्यों को मारने के बराबर है उस व्यक्ति ने वह वन काटना बंद कर दिया , उसी समय पश्चिम की ओर से एक वृद्धा आती दिखाइ दी और वन से दुध की धार बहने लगी ,उस वृद्धा ने कहा बेटा वनों की पूजा करना चाहिये ,उस आदमी ने कहा कि माता जी आज के बाद मे वन नही काटूँगा और हाथ जोड़े और लाल चुन्दर वाली माता जी वहाँ से गायब हो गई तो आदमी अचम्भित हो गया तो यह बात जब मोड़ी वाले दुधा जी राव ने सुनी तो वे भी उस वन मे आये ,कही लोग ईधर - उधर के गाँवों से आकर उस वन में बह रही दुध की धार के दर्शन के लिये उमड़ पड़े उसी स्थान पर फिर दुधाखेड़ी माता जी की मूर्ती की स्थापना की गई इस लोक देवी को दुधाखेड़ी माता जी के नाम से प्रसिद्धि मिली।
दुधा जी रावत जब तक जीवित रहे माता की पूजा अर्चना करते रहे फिर उन्होने गुसाइयो को वहाँ की पूजा का भार सौप दिया। गुसाइयो से फिर तेल्लिया खेड़ी मे बसने वाले नाथो ने ले लिया , तेल्लिया खेड़ी का नाम बाद मे दुधाखेड़ी हो गया। प्राचीन समय मे होलकर रानी अहिल्या देवी भी दुधाखेड़ी माता के दर्शन अपने विश्वास पात्र अंग रक्षिका सिन्दुरी के साथ आई थी सिन्दुरी सोन्धिया राजपूत समाज की थी, जो बड़ी वीर थी, उसी समय उसने एक धर्मशाला दुधाखेड़ी माता के यहाँ बनाई थी। होल्कर राज्य के समय गाँवों एवं नगरों के मन्दिरों के नाम से मन्दिरों के पूजारियों हेतु खेत की भूमि की जागीरे दी थी, जिससे कि मन्दिरों में भगवान की पूजा अर्चना चलती रहे। महारानी अहिल्या बाई ने दुधाखेड़ी माता की मुर्तियों पर चार खम्बे लगवा कर छाया करवाई थी वह छाया आज भी उनकी याद दिलाती है।
इसके बाद यशवंत राव होल्कर प्रथम ने धुनि के पास वाली धर्मशाला का निर्माण करवाया था और धुनी वाली धर्मशाला झालावाड़ दरबार ने बनवाई थी वे भी देवी के बड़े भक्त थे । सीतामउ के राजा ने अपने राज्य मे मन्दिर के पूजारियों हेतु खेती की भूमि जागीर मे दे दी थी, महाराज यशवंतराव होल्कर जब भी युद्ध के लिये प्रस्थान करते थे, तो पहले अपने घोड़े से दुधाखेड़ी माता के यहाँ आकर दर्शन करते थे।
कहते है कि माता जी के यहाँ रखी उनकी तलवार अपने आप उठकर अपने आप आ जाती थी, वे उसी को लेकर युद्ध मे प्रस्थान करते थे अपने पास की तलवार वे माता जी के यहाँ रख देते थे , उन्होने अपने मन मे निश्चय किया था कि अंग्रेजो को नाको चने चबवा दूँगा । आज भी यशवंतराव होलकर कि एक तलवार दुधाखेडी माता के यहाँ रखी हुई है। दरवाजा के पास की एक धर्मशाला शिवाजी राव होलकर ने एव दुसरी तुकोजी राव होलकर ने बनवाई थी , प्राचीन मान्यता अनुसार माता के दरबार में शारीरिक विकलांग (लकवा) एवं मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है।
क्या कहे ये तुमसे सुन सुन एक तारा बोले तुन तुन क्या कहे ये तुमसे सुन सुन बात है लम्बी मतलब गोल खोल न दे ये सबकी पोल तो फिर उसके बाद एक तारा बोले तुन तुन सुन सुन सुन एक तारा बोले तुन तुन क्या कहे ये तुमसे सुन सुन एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन तुन
कुछ ऐसे लोग भी होते हैं कुछ ऐसे लोग भी होते हैं अपनी गलती पे रोते हैं अपना तो पेट नहीं भरता पर दस दस बच्चे होते हैं पर दस दस बच्चे होते हैं हर साल केलिन्डर छाप दिया परिवार नियोजन साफ़ किया तो फिर उसके बाद एक तारा बोले तुन तुन सुन सुन सुन एक तारा बोले तुन तुन क्या कहे ये तुमसे सुन सुन एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन तुन
पहले तो था चोला बुर्का पहले तो था चोला बुर्का फिर काट काट के वो हुआ कुरता छोले की अब चोली है बानी चोली से आगे क्या होगा चोली से आगे क्या होगा ये फैशन बढ़ता बढ़ता गया और कपडा तन से घटता गया तो फिर उसके बाद एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन तुन एक तारा बोले तुन तुन कहे ये तुमसे सुन सुन एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन तुन
अरे हेक्स तेरी ऐसी तैसी अरे हेक्स तेरी ऐसी तैसी सूरत है लड़की जैसी तंग पैंट पतली टांगें लगती हैं सिगरेट जैसी लगती हैं सिगरेट जैसी देश का यही जवान है तो देश की ये संतान है तो तो फिर उसके बाद एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन तुन एक तारा बोले तुन तुन कहे ये तुमसे सुन सुन एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन तुन
अरे राकेट कोई चाढ़ाते है अरे राकेट कोई चाढ़ाते है कोई एटम बम बनाता है अमन के नाम पे देखो वो दुनिया पे रोब जमाते है दुनिया पे रोब जमाते है बारूद अगर ये चल जाए सारी दुनिया जल जाए तो फिर उसके बाद एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन तुन एक तारा बोले तुन तुन कहे ये तुमसे सुन सुन एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन तुन
मंदिर से लोग घबराते हैं मंदिर से लोग घबराते हैं और रोज़ क्लब में जाते हैं लोग भक्ति भजन सब भूल गए और फ़िल्मी गाने गाते हैं और फ़िल्मी गाने गाते हैं जब धर्म नहीं और शर्म नहीं कोई भी अच्छा कर्म नहीं तो फिर उसके बाद एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन तुन एक तारा बोले तुन तुन कहे ये तुमसे सुन सुन एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन तुन
दो किस्म के नेता होते हैं इक देता है इक पाता है हो हो एक देश को लूट के खाता है इक देश पे जान लुटाता है हो हो एक ज़िंदा रह कर मरता है इक मर कर जीवन पाता है इक मारा तो नामो निशान ही नहीं इक यादगार बन जाता है इक यादगार बन जाता है भगवान् करे मेरे देश के सब नेता ही बन जाएँ ऐसे थोड़े से लाल बहादुर हों थोड़े से होण नेहरू जैसे थोड़े से होण नेहरू जैसे
राम न करे मेरे देश को राम न करे मेरे देश को कभी भी ऐसा नेता मिले जो आप भी डूबे देश भी डूबे जनता को भी ले डूबे अरे जनता को भी ले डूबे वोट लिया और खिसक गया जब कुर्सी से चिपक गया तो फिर उसके बाद उसके बाद एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन क्या कहे ये तुमसे सुन सुन एक तारा बोले तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन तुन.
सामुहिक विवाह क्या होता है? आजकल सामूहिक विवाह समारोह आयोजित होने लगे हैं। ये प्रायः संस्थाओं द्वारा आयोजित होते हैं। एक ही समय पर एक साथ एक ही जगह पर एक से अधिक जोड़ों के विवाह समारोह सम्पन्न होते हैं।
सामूहिक विवाह में बहुत सारे वर व कन्याओं का विवाह एक ही स्थान पर किया जाता है।जिस से खर्चों में कटौती होती है। दिखावटी खर्च पर अंकुश लगता है।
मेरे विचार से यह बहुत ही अच्छी आयोजन है और इसे बढ़ावा देना चाहिए।
सामूहिक विवाह समाज के भागीरथ बंधुओ द्वारा समाज हित में एक सार्थक सोच व अंगद कदम हैं। सामूहिक विवाह मात्र एक विवाह का आयोजन भर नहीं हैं अपितु इसके प्रभाव व समाज हित में लाभ बड़े दूरगामी हैं।किसी कमजोर, जरूरतमंद या असहाय परिवार की कन्या का विवाह करानें से बढ़कर कोई अन्य पुनीत कार्य नहीं है। इस बात का प्रमाण है कि आज हर समाज में समाज बन्धु संगठित होकर कन्याओं के हाथ सामूहिक विवाह के माध्यम से पीले कर रहे हैं। क्रमश: सभी जातियों के साथ साथ अपनी जाति में भी सामूहिक विवाह सम्मेलन को लेकर समाज संगठन सक्रिय हैं। यह संगठन विवाह जैसे सामाजिक पुण्य कार्य में अपनी सराहनीय भूमिका निभा रहा हैं। प्रशंसनीय बात यह भी है कि अब इन सामूहिक वैवाहिक कार्यक्रमों में अपेक्षाकृत अच्छी संख्या देखी जा रही है। मेरा यह मानना है कि समाज संगठन के बैनर तले शादियां कराने पर समय की बर्बादी, दान-दहेज व फिजूलखर्ची जैसी कुरीतियों से भी समाज को मुक्ति मिल सकती है। लेकिन, इसके लिए जरूरी है कि समाज का बड़ा वर्ग भी इसमें सम्मिलित हो ताकि कोई भी जरूरतमंद व कमजोर परिवार अपनी नजरों में हीन व हास का पात्र न महसूस करे।
सामूहिक विवाह सम्मेलन वर्तमान की आवश्यकता — क्या समाज के आमजन स्वयं आगे आएंगे।
दहेज लेना और दहेज देना कानूनी अपराध है।
तिलक नहीं दहेज नहीं, शादी कोई व्यापार नहीं, खरीदा हुआ जीवन लड़की को स्वीकार नहीं’।
इस कुरीति के चलते कई निर्धन परिवार
सम्मेलन की ही तरह सामूहिक विवाहों के आयोजन किए जाना समाज के लिए अच्छा कदम हें। इस कार्यक्रम के माध्यम से जो धन, झूठे सामर्थ्य प्रदर्शन व्यय होता हे वह, नई दम्पत्ति के लिए उन्नति का सहारा हो सकता हे। कुछ लोग कह सकते हें की हम इस विवाह व्यय का बोझ उठाने में समर्थ हें। वे यह क्या यह भूल जाते हें की इससे असमर्थ व्यक्तियों पर मानसिक दवाव बनता हे। वे भी अपनी पुत्र या पुत्री के लिए सक्षम परिवार में रिश्ता करना चाहते हें, इस लिए सामुहिक विवाह को नहीं अपना कर, अन्य पक्ष की इच्छा या मानसिकता के आधार पर सामर्थ्य से अधिक व्यय कर आर्थिक बोझ के नीचे दव जाते हें। ओर यह भी हे की कोई भी स्वयं को असमर्थ या कमजोर ,गरीब साबित नहीं होने देना चाहता, चाहे इसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े, कितना भी कर्ज क्यों न लेना पड़े।
नव जवान युवक ओर युवतियों से आज यह आशा की जा सकती हे, की इन बातों को वे समझ कर अपने परिवार को सामूहिक विवाह के लिए तेयार कर सकते हें, ओर अपने पालको को इस धन की बरबादी से बचा कर कर्ज के खड्डे में, गिरने से बचा सकते हें। यही बात दूसरी ओर भी लागू होती हे की क्या कोई जमाई यह चाहेगा की उसके ससुराल पक्ष को एसी कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़े। यदि कोई जमाई एसा चाहे तो वह जमाई बनाने लायक हो ही नहीं लालची जमाई ओर परिवार में कोई बेटी सुखी हो ही नहीं सकती।
सामूहिक विवाह जेसी सामाजिक गतिविधि को आगे बड़ाने, ओर उसके लिए किसी को भी तैयार करने की कोशिश करने वाले महानुभवों को अक्सर यह ताना मिलता हे की स्वयं ने तो अपने बच्चों का विवाह सामूहिक विवाह नहीं करवाया पर हमको शिक्षा दे रहें हें। पर भाई यदि उनसे भूल हो गई हे, ओर वे इसी बात को समझ कर आपसे अनुरोध कर रहे हें, तो क्या आप बात को समझ कर भी सबक नहीं लेंगे? क्या जब तक आप स्वयं की हानी न हो जाए अनुभव से सबक नहीं लेंगे ?
अनुभव में आया हे, की सामर्थवानों के द्वारा अपनाए किसी भी कार्यक्रम को अन्य सभी शीघ्र स्वीकार कर लेते हें, क्या अब वक्त नहीं हे की सभी सक्षम भी अपने पुत्र- पुत्रियों के सामूहिक विवाह में उनका विवाह कर समाज का नेत्रत्व करें। वे सम्पन्न होने के साथ साथ हर तरह से सक्षम भी हें। “महाजनौ येन गता सुपन्था” अर्थात बड़े व्यक्ति जिस राह पर चलते हें वही सच्चा मार्ग हे, के इस शास्त्र वचन को सार्थक कर हम ब्राह्मण अर्थात सर्व श्रेष्ठ होने की बात सार्थक करें।
सामूहिक विवाह के आयोजन से केवल स्वयं का धन ही नहीं बचता, देश की संपदा, के साथ व्यर्थ श्रम ओर बहुत सारी परेशानियों से भी छुटकारा मिल जाता हे। यह सब श्रम पूरा समाज मिलकर कर लेता हे।
मोटे-मोटे तौर पर सामाजिक प्रभावो में हम इस पहल से शादियो की दिन ब दिन बढती फिजूल खर्ची को आइना दिखा रहे हैं वहीँ समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके की सहायता भी कर रहे हैं। हालाँकि सामाजिक स्तर पर सब समान हैं। फिर भी यह एक जमीनी सच्चाई हैं की सामूहिक विवाह की अवधारणा के विकास में एक आधारभूत तत्व यह भी था की समाज के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारो से शादी रूपी खर्चे के पहाड़ का बोझ कम किया जाये। हालाँकि अब समाज में यह भी पहल हो रही हैं की आर्थिक रूप से सम्पन्न उच्च व मध्यम तबके को भी इसमें अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवानी चाहिए। पर यह सब स्वेच्छा से हो तो सोने पर सुहागा होगा क्योंकि वर्तमान में मैं समाज पर किसी तरह के प्रतिबंध की असार्थक कल्पना नहीं कर सकता। और मेरे स्वविचारो में शादी पूर्णतः निजी समारोह हैं और निजी रूप से ही प्रत्येक को इसके आयोजन का अधिकार भी हैं।
दूरगामी परिणाम देखे तो सामूहिक विवाह की पहल से हम कन्या भूर्ण हत्या पर भी एक हद तक सोच बदलने में कामयाब होंगे और दहेज़ रूपी दानव का भी निवारण कर रहे हैं। कन्या भूर्ण हत्या में एक अहम् किरदार माँ बाप के मन उसकी शादी के खर्चे का भी होता हैं जिसका हम इस पहल से निदान कर रहे हैं।
निमंत्रण पत्रिका, निर्देश पत्रिका में इसका प्रसार-प्रचार हो रहा हैं। समाज के भामाशाहो से विनती व आह्वान हैं की वे अपनी इच्छानुसार वस्तुए व आभूषण भेट दे सकते हैं
भारतीय डाक विभाग डाक सेवक भर्ती 2023 केवल 10 वी पा
भारतीय डाक विभाग (Indian Postal Department) द्वारा ग्रामीण डाक (GDS) सेवक , ब्रांच पोस्ट मास्टर (BPM) असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर (ABPM) आदि पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन (Online Apply for GDS) शुरू कर दिए हैं. (India Post Online Form Start Date) आवेदन दिनांक 27 जनवरी 2023 से प्रारंभ हो चुके हैं (India Post Online Form Last Date)आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 16 फरवरी 2023 है वही आवेदन पत्र में सुधार ( (India Post Online Correction Last Date) के लिए 19 फरवरी 2023 अंतिम तिथि है.
पोस्ट के लिए योग्यता ( (India Post Eligibility 2023) : उम्मीदवार को सेकेंडरी स्कूल एग्जामिनेशन (Secondary Certificate Exam) यानी कि दसवीं (गणित एवं अंग्रेजी विषय) के साथ पास होना अनिवार्य है साथ ही साथ उम्मीदवार को स्थानीय भाषा (एक विषय के रूप में पढ़ा हुआ अनिवार्य है)
post Office Job 2023: ग्रामीण डाक सेवक, 10th ऊम्र सीमा (Age Limit for Gramin Dak Sevak Bharti 2023) : आवेदक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होना चाहिए एवं अधिकतम उम्र 40 वर्ष होना चाहिए .एससी एसटी को 05 वर्ष की छूट दी जाएगी एवं ओबीसी उम्मीदवार को 03 वर्ष की अधिकतम उम्र सीमा में छूट दी जाएगी. दिव्यांग उम्मीदवार को 10 वर्ष की छूट दी जाएगी. ओबीसी एवं दिव्यांग है तो उसे 13 वर्ष की छूट दी जाएगी और यदि उम्मीदवार दिव्यांग एवं अनुसूचित जाती या अनुसूचित जनजाति से है तो उसको 15 वर्ष की छूट दी जाएगी.
ऑनलाइन अप्लाई (Online Apply Link for Gramin Dak Sevak 2023) : ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए आपको दी गई लिंकhttps://indiapostgdsonline.gov.in/Reg_validation.aspx पर फॉर्म भरना पड़ेगा और जो आवश्यक जानकारियां हैं वह जानकारियां भरकर प्रोसेस करना होगी. उम्मीदवारों का सिलेक्शन दसवीं (10TH Merit based Selection ) के मेरिट बेस पर होगा . Merit के लिए जो चार्ट उपयोग में लाया जाएगा वह नीचे दिया गया है कृपया इसका अध्ययन करें
आवेदन करने के लिए आवश्यक दस्तावेज (Documnets for Apply Online GDS) : ऑनलाइन आवेदन करने के लिए अपना रीसेंट पासपोर्ट फोटो जिसकी साइज 50 केबी से अधिक ना हो, अपने हस्ताक्षर जिसकी साइज 20 केवी से अधिक ना हो साथ ही 10वीं की अंकसूची आधार कार्ड मोबाइल नंबर ईमेल आईडी आवश्यक होगी.
रजिस्ट्रेशन करने के लिए आवश्यक निर्देश :GDS ONLINE ऑनलाइन आवेदन करने के लिए रजिस्ट्रेशन करना एक अनिवार्य प्रोसेस है . रजिस्ट्रेशन करने के लिए मोबाइल नंबर एवं ईमेल आईडी आवश्यक होगी. एक ईमेल आईडी और एक मोबाइल नंबर का उपयोग केवल एक ही बार किया जा सकेगा. उम्मीदवार का नाम, माता-पिता का नाम, एवं जन्म दिनांक 10वीं की अंकसूची में लिखे गए अनुसार एंटर करना होगा.
स्टेट वाइज पोस्ट (State Wise Post Detail) : आंध्र प्रदेश में कुल 2480 पोस्ट, आसाम में कुल 355 पोस्ट, बिहार में कुल 1461, पोस्ट छत्तीसगढ़ में 1593 पोस्ट ,दिल्ली में 46 पोस्ट , गुजरात में 2017 पोस्ट , हरियाणा में 354 पोस्ट, हिमाचल प्रदेश में 603 पोस्ट, जम्मू कश्मीर में 300 पोस्ट, झारखंड में 1590 पोस्ट, कर्नाटका में 3036 पोस्ट, केरला में 2462 पोस्ट , मध्यप्रदेश में 1841 पोस्ट, महाराष्ट्र में 2510 पोस्ट, ओडिशा में 1382 पोस्ट, पंजाब में 766, पोस्ट राजस्थान में 1684 पोस्ट, तमिलनाडु में 3159 पोस्ट , तेलंगाना में 1266 पोस्ट ,उत्तर प्रदेश में 7987 पोस्ट, उत्तराखंड में 889 पोस्ट, वेस्ट बंगाल में लगभग 2150 पोस्ट, सर्किल वाइज जनरल ओबीसी एससी एसटी ईडब्ल्यूएस पीडब्ल्यूडी आदि का आरक्षण चार्ट नीचे दिया गया है कृपया इस आरक्षण चार्ट का अध्ययन करे
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मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार हमेशा से किसानों की आय बढ़ाने के लिए किसान हितेषी योजनाये बनाती रहती है. ऐसी ही एक योजना है ई उपार्जन. इस योजना में शासन समर्थन मूल्य पर किसानों की फसलों की खरीद करती है, मध्य प्रदेश सरकार MP E– Uparjan Portal के माध्यम से मध्यप्रदेश के किसानों से समर्थन मूल्य पर उनकी फसल खरीदकर उन्हें नुकसान से बचाती है
MP E Uparjan 2023 – मध्य प्रदेश सरकार में प्रदेश के किसानों से उनकी उपज खरीदने के लिए सबसे पहले MP E Uparjan Portal पर पंजीकृत किया जाता है। फिर गिरधावरी पोर्टल के डाटा से समस्त पंजीकृत किसानों (All Registered farmers) की फसल एवं भूमि का सत्यापन किया जाता है।
कृषक क्रय केन्द्रों द्वारा ई-उपार्जन साफ्टवेयर के माध्यम से किसानों से खाद्यान्न क्रय किया जाता है। उपज प्राप्त होने के बाद किसानों को उनके द्वारा बेचे गए अनाज की रसीद (बिल) दी जाती है और किसानों द्वारा बेचे गए अनाज की राशि सात कार्य दिवसों के भीतर उनके पंजीकृत बैंक खाते में (Registered Bank Account) जमा कर दी जाती है। ई उपार्जन एमपी सॉफ्टवेयर के माध्यम से किसानों से खरीदे गए अनाज को उपार्जन केंद्र द्वारा संग्रहण केंद्र (godown) तक पहुंचाया जाता है। परिवहन (Transport) के लिए प्रयुक्त बारदाना भी उपार्जन केन्द्र द्वारा प्राप्त कर अन्य उपार्जन केन्द्रों को जारी किया जाता है। अनाज खरीदी की पूरी प्रक्रिया ई उपार्जन एमपी सॉफ्टवेयर के माध्यम से की जाती है।
यह भी पढ़ें :-
Highlightsof MPE Uparjan2023-24
योजना का नाम
MP E Uparjan 2023-24 किसान पंजीयन
किसने शुरू की
मध्य प्रदेश शिवराज सरकार
लाभार्थी
मध्य प्रदेश के समस्त किसान
उद्देश्य
समर्थन मूल्य पर फसलों को बेचने के लिए ई उपार्जन पंजीयन
प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी किसान पंजीयन ऑनलाइन (online Kisan Panjiyan) किये जायेंगे लेकिन इस वर्ष ई उपार्जन किसान पंजीयन में कुछ बदलाव किये गए हैं –
01. पंजीयन व्यवस्था में बदलाव – किसान पंजीयन शुल्क व्यवस्था(Registration Fees)
क्र.
पंजीयन की निःशुल्क व्यवस्था
पंजीयन की सशुल्क व्यवस्था (शुल्क राशि रूपये 50.00)
1
स्वयं के मोबाईल से एमपी किसान एप पर अथवा कम्प्यूटर से पंजीयन हेतु निर्धारित लिंक पर जाकर
एम.पी. ऑनलाईन कियोस्क पर (MPonline Kiosk)
2
ग्राम पंचायत कार्यालय में स्थापित सुविधा केन्द्र पर |
कॉमन सर्विस सेन्टर (CSC) कियोस्क पर
3
जनपद पंचायत कार्यात्रयों में स्थापित सुविधा केन्द्र पर |
लोक सेवा केन्द्र पर (Lokseva Kendra)
4
तहसील कार्यात्रयों में स्थापित सुविधा केन्द्र पर
निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित साइबर कैफे पर
5
पूर्व वर्षो की भांति सहकारी समिति/SHG/FPO/FPC द्वारा संचालित पंजीयन पर केन्द्र पर
निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित साइबर कैफे पर
02. आधार सत्यापन –
ई उपार्जन पंजीयन कराने और फसल बेचने के लिए के लिए आधार सत्यापन (aadhar Verification) अनिवार्य कर दिया हैं। आधार सत्यापन आधार से लिंक मोबाईल नंबर पर प्राप्त OTP से या बायोमेट्रिक डिवाईस से किया जा सकेगा।
किसान पंजीयन केंद्र संचालक UIDAI द्वारा निर्धारित विनिर्देशों के बायोमेट्रिक डिवाइस स्थानीय बाजार से खरीद सकते हैं।
03.ई उपार्जन पंजीयन एवं फसल बेचने हेतु उपार्जन केन्द्र, तिथि एवं टाइम स्लॉट चयन करने की किसान पंजीयन 2023 24की अवधि
अवधि
रिमार्क
क्र.
कार्य
दिनांक से
दिनांक तक
–
1
किसान पंजीयन की प्रारंभ तिथि व किसान पंजीयन की आखरी तारीख
दिनांक 06.02.2023 से
दिनांक 28.02.2023 तक
उपार्जन केन्द्रों पर किसान पंजीयन प्रातः 7:00 से रात्रि 9:00 बजे तक ग्राम पंचायत/जनपद पंचायत/तहसील कार्यालय में स्थापित सुविधा केन्द्रों पर कार्य दिवस में कार्यालयीन समय पर
2
फसल बेचने हेतु उपार्जन केन्द्र, तिथि एवं टाईम स्लॉट का चयन
दिनांक 07.03.2023 से
दिनांक 20.03.2023 तक
उपार्जन केन्द्रों पर प्रात: 7:00 से रात्रि 9:00 बजे तकग्राम पंचायत/जनपद पंचायत/तहसील कार्यालय में स्थापित सुविधा केन्द्रों पर कार्य दिवस में कार्यालयीन समय पर
3
उपार्जज संभावित अवधि
दिनांक 25.03.2023 से
दिनांक 15.05.2023 तक
दिनांक 20.03.2023 तक
04. कृषि पंजीयन केंद्र संचालन हेतु संस्थाएं –
एमपी ऑनलाइन कियोस्क, कॉमन सर्विस सेंटर, लोक सेवा केंद्र और निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित साइबर कैफे, ग्राम पंचायत/जनपद पंचायत/तहसील कार्यालय, स्वसहायता समूह को किसान पंजीयन की कार्यवाही करने के पूर्व जिला कलेक्टर / सक्षम प्राधिकारी से उचित अधिकार प्राप्त करना होगा।
05.ई उपार्जन प्रक्रिया में संशोधन –
इस वर्ष 2023 में किसान को SMS प्राप्त होने पर फसल बेचने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया हैं| अब किसान अपने नजदीकी पंजीयन केंद्र या MP E Uparjan 2023 केंद्र पर एक सप्ताह पहले तिथि और समय स्लॉट का स्वयं चयन कर सकते हैं| यानि किसान अब स्वयं चयन करेगा कि उसे उसकी उपज किस दिन उपार्जन केंद्र पर ले जाना हैं| उपार्जन केंद्र, तिथि एवं स्लॉट का चयन किसान को नियत तिथि के पूर्व करना अनिवार्य होगा उपार्जन प्रारंभ होने की तिथि से उपार्जन समाप्त होने के एक सप्ताह पूर्व तक स्लॉट बुक किया जा सकता है.
06.भुगतान व्यवस्था में संशोधन –
किसान भाइयों को पहले की भांति अब बैंक खाता की जानकारी नहीं देनी होगी| क्युकी इस बार JIT Payment Portal के माध्यम से किसानो को भुगतान नहीं किया जायेगा| किसान को उनके द्वारा समर्थन मूल्य पर विक्रय की गई उपज की राशी उनके आधार से लिंक खाते में भुगतान की जाएगी| इस नई व्यवस्था से अब किसान को ज्यादा समय राशी अपने खाते में आने का इंतजार नहीं करना होगा|
MP Euparjan 2023 24 में भुगतान समय पर हो इसलिए इस बार किसानों के आधार लिंक बैंक खाते में ही ई उपार्जन की राशी का भुगतान किया जायेगा इसलिए आवश्यक हैं कि किसान सबसे पहले अपने बैंक खाते में आधार लिंक करा ले|
मध्य प्रदेश ई उपार्जन पोर्टल पात्रता(Eligibility for Kisan Panjiyan)
मध्य प्रदेश के सभी किसान अपने आधार कार्ड नंबर और समग्र आईडी के माध्यम से पंजीकरण करा सकते हैं।
यदि आपके पास समग्र आईडी नहीं है, तो आप इस पोर्टल पर पंजीकरण नहीं कर सकते हैं, इसके लिए आपको पहले समग्र आईडी के लिए आवेदन करना होगा।
रजिस्ट्रेशन के लिए आधार या पूरी आईडी होना अनिवार्य है।
मध्यप्रदेश ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल 2023-24 पर रजिस्ट्रेशन के लिए मोबाइल नंबर होना अनिवार्य है।
इस रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आपका मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना चाहिए।
आवेदक की समग्र आईडी
आवेदक मध्य प्रदेश का स्थाई निवासी होना चाहिए।
निवास प्रमाण पत्र
आधार कार्ड
बैंक अकाउंट पासबुक
ऋण पुस्तिका
मोबाइल नंबर
पासपोर्ट साइज फोटो
Kisan Panjiyan MP हेतु आवश्यक दस्तावेज (Documents needed for Kisan Panjiyan)
भू- अधिकार एवं ऋण पुस्तिका तथा खसरा की अद्यतन नकल/ वनाधिकार पट्टे की छायाप्रति ।
सिकमी / पट्टे की भूमि होने पर उसका निर्धारित प्रारूप में अनुबंध पत्र एवं मूल भू- स्वामी की ऋण पुस्तिका की छायाप्रति।
आधार कार्ड (ई.आई.डी.नम्बर) ।
दो बैंक खाते की पास बुक का प्रथम पृष्ठ जिस पर बैंक खाता नम्बर एवं नाम उल्लेखित है।
(बैंक खाता राष्ट्रीयकृत/अधिसूचित बैंक एवं जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की शाखा का होना अनिवार्य हैं )
ई उपार्जन किसान पंजीयन कब चालू होगा?याई उपार्जन किसान पंजीयनकी आखिरी तारीख 2023-24
मध्यप्रदेश में किसान रबी विपणन वर्ष 2023-24 में उपार्जन हेतु अपना किसान पंजीयन नजदीकी पंजीयन केंद्र पर 01 फरवरी 2023 से 25 फरवरी 2023 तक करवा सकते हैं। पंजीयन सुबह 07 से रात्रि 09 बजे तक जिले में निर्धारित पंजीयन केन्द्रों पर शासकीय कार्य दिवसों में किया जायेगा।
पंजीयन केंद्र कियोस्क के लिए पंजीकरण कैसे करे?
यदि आप आप एक MP ONLINE KIOSK/कॉमन सर्विस सेण्टर/लोकसेवा केंद्र या सायबर कैफ़े संचालक है तो आप MP EUPARJAN PORTAL पर अपना पंजीयन कर समर्थन मूल्य पर फसल बिक्री हेतु किसान का किसान पंजीयन कर सकते हैं इसके लिए आपको निम्न स्टेप फॉलो करने होंगे|
आपके सामने मध्य प्रदेश ई उपार्जन पोर्टल का होम पेज खुलेगा |
फिर अन्य उपयोगकर्ता में पंजियन केंद्र किओस्क के लिए पंजीकरण (रबी 2023) पर क्लिक करे|
MP E Uparjan 2023
किओस्क पंजीयन निर्धारण की लिंक पर क्लिक करे |
ई-उपार्जन रबी 2023-24 मे केंद्र पंजीयन हेतु जानकारी
संचालक और ऑपरेटर की जानकारी भरकर आधार OTP द्वारा सत्यापन करे|
संचालक/ऑपरेटर और Kiosk प्रमाण पत्र/CSC प्रमाण पत्र/LSK प्रमाण पत्र/गुमास्ता प्रमाण पत्र का PDF अपलोड करे |
Kiosk Panjiyan
केंद्र का पंजीयन होने के पश्चात केंद्र का सत्यापन जिला खाद्य आपर्ति अधिकारी द्वारा किया जायगा |
जब केंद्र का सत्यापन हो जायगा तो केंद्र के मेनेजर के मोबाइल नंबर पर केंद्र का login ID और password भेज दिया जायगा |
प्राप्त आई डी और पासवर्ड से ओपेरटर LOGIN करे और किसान का पंजीयन करे
समस्या के समाधान हेतु euparjanmp@gmail.com पर mail करे
कियोस्क के माध्यम से किसान पंजीयन कैसे करें ? Kiosk kisan panjiyan kaise kare?
आपने किसान पंजीयन के लिए कियोस्क पंजीयन किया गया है और यदि यह स्वीकृत हो जाता है तो आपके मोबाइल नंबर पर पासवर्ड प्राप्त होगा। और अब आप किसानों का पंजीयन कर सकेंगे, लेकिन अगर आप किसान पंजीयन कर रहे हैं तो farmer registration process के बारे में जान लें, जिससे आप आसानी से आने वाली समस्याओं को समझ सकेंगे। Kiosk संचालक निम्न स्टेप फॉलो करके किसान पंजीयन कर सकते हैं :-
अब अपने सामने होम पेज पर पंजियन केंद्र किओस्क के लिए पंजीकरण (रबी 2023) पर क्लिक करे|
फिर किओस्क पंजीयन केंद्र लॉगिन पर क्लिक करे|
अब अपना केंद्र चयन कर Login पासवर्ड से Login करे |
अब आपके सामने Farmer Registration पेज दिखाई देगा|
Farmer Registration पेज में किसान का आधार कार्ड नंबर प्रविष्ट करे |
किसान का नाम, किसान के पिता/पति नाम, आधार से लिंक मोबाइल नंबर, समग्र सदस्य आईडी, लिंग और वर्ग सेलेक्ट करे|
Send OTP पर क्लिक करे |
किसान के आधार में पंजीकृत मोबाइल नंबर पर OTP प्राप्त होगा|
OTP प्रविष्ट करके Save पर क्लिक करे |
Farmer registration through Kiosk
किसान की जानकारी सुरक्षित होने के बाद किसान पंजीयन में किसान की स्वयं की भूमि जोड़ने के लिए फसल भण्डारण स्थल लिखे और जहाँ किसान की भूमि है वह जिला, तहसील, राजस्व ग्राम का चयन करे |
अब किसान पंजीयन में किसान की भूमि के खसरे जोड़े|
सभी चयनित खसरे सिंचित\असिंचित अनुमानित आवक मात्रा लिखे|
अब भूमि की जानकारी जोड़े पर क्लिक करे |
किसान पंजीयन में भूमि जोड़े
अब ओपेरटर और किसान सत्यापन स्वीकार करे और Save पर क्लिक करे |
किसान पंजीयन में भूमि जोड़े
किसान पंजीयन सुरक्षित करने पर स्क्रीन पर किसान कोड दिखाई देंगे|
Print पर क्लिक करे और प्रिंट निकाल कर किसान को दे|
MP किसान पंजीयन प्रिंट निकालें
मोबाइल से ऑनलाइन किसान पंजीयन कैसे करें? (How to do online farmer registration from mobile?)
यदि किसान स्वयं अपने मोबाइल से किसान पंजीयन करना चाहता हैं तो MP Kisan App के माध्यम से MP E Uparjan Panjiyan कर सकता हैं तो मोबाइल से किसान पंजीयन कैसे करे ? के बारे में जानते हैं :-
सबसे पहले अपने मोबाइल में Google Play Store खोलें|
ई-उपार्जन मोबाइल एप में जहां की भूमि हैं वह जिला, तहसील, राजस्व गाँव, और खसरा का चयन कर जमा पर क्लिक करे |
अब आपके भूमि खाते के सरे खसरे दिखाई देंगे|
खसरों का चयन करे और जमा करे पर क्लिक करे|
जानकारी हेतु सहमती प्रदान करे|
आधार सत्यापन हेतु आधार नंबर प्रविष्ट करे और जमा करे |
अब आपके आधार में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर OTP प्राप्त होगा |
OTP प्रविष्ट करे और जमा करे |
किसान अपनी समग्र आईडी चेक करे और जमा करे |
जाति का चयन करे और भण्डारण केंद्र सेलेक्ट करे |
फसल विक्रय हेतु 3 दिनंकें चुने |
अब जमा करे |
जमा करते ही आपकी स्क्रीन पर सफलतापूर्वक पंजीयन के साथ किसान कोड दिखाई देगा|
और आपके मोबाइल पर किसान पंजीयन कोड के साथ SMS प्राप्त होगा|
रबी फसल एमएसपी 2023 / Minimum Support Price List for Rabi Crops
क्रमांक
फसल का नाम (Rabi Crop List)
रबी फसल एमएसपी 2023 (MSP)
1.
2023-24 गेहूं का समर्थन मूल्य क्या हैं ?
₹2125
2.
2023- 24 सरसों का समर्थन मूल्य क्या हैं ?
₹5450
3.
2023-24 मसूर का समर्थन मूल्य क्या हैं ?
₹6000
4.
2023-24 चना समर्थन मूल्य क्या हैं ?
₹5335
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से किसान पंजीयन कैसे कराये?
यदि आप मध्य प्रदेश के निवासी हैं और आप रबी में गेहूँ, चना, सरसों, मसूर की उपज उपार्जन केंद्र पर समर्थन मूल्य पर विक्रय करना चाहते हैं तो किसान को समर्थन मूल्य किसान पंजीयन कराना होगा| यह किसान पंजीयन मध्य प्रदेश शासन की वेबसाइट MP E Uparjan 2023- 24 किया जायेगा| यदि आप निशुल्क किसान पंजीयन (Free Kisan Registration) कराना चाहते हैं तो नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करे|
सहकारी समिति में किसान पंजीयन हेतु आवश्यक दस्तावेज –
किसान का स्वयं की भूमि का किसान पंजीयन हेतु आवश्यक दस्तावेज –
समर्थन मूल्य किसान पंजीयन फॉर्म 2023-24
किसान का आधार कार्ड (फोटोकॉपी)
किसान का समग्र सदस्य आईडी (फोटोकॉपी)
भू ऋण पुस्तिका या B1 खसरा नकल (फोटोकॉपी)
आधार कार्ड में पंजीकृत मोबाइल नंबर
फसल विक्रय हेतु नामित व्यक्ति का आधार कार्ड व आधार कार्ड में पंजीकृत मोबाइल नंबर व भू स्वामी से सम्बन्ध का उल्लेख करना होगा|
सिकमी व बटाई की भूमि का किसान पंजीयन हेतु आवश्यक दस्तावेज –
समर्थन मूल्य किसान पंजीयन फॉर्म 2023- 24
सिकमी व बटाईदार किसान का आधार कार्ड (फोटोकॉपी)
सिकमी व बटाईदार किसान का समग्र सदस्य आईडी (फोटोकॉपी)
मूल भूस्वामी की भू ऋण पुस्तिका या B1 खसरा नकल (फोटोकॉपी)
सिकमी व बटाईदार किसान आधार कार्ड में पंजीकृत मोबाइल नंबर
सिकमी व बटाईदार किसान का आधार कार्ड में पंजीकृत मोबाइल नंबर
मूल भूस्वामी का आधार कार्ड में पंजीकृत मोबाइल नंबर
सिकमी व बटाईदार व भूस्वामी का करारनामा/ अनुबंध व अनुबंध दिनांक
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के किसान पंजीयन केंद्र पर क्या क्या सुविधाएँ उपलब्ध हैं?
पंजीयन केंद्र आप किसान पंजीयन की प्रिंट निकाल सकते हैं|
नया किसान पंजीयन करा सकते हैं|
पहले से किये गए किसान पंजीयन में खसरा जोड़ सकते हैं|
किसान के आधार से लिंक खसरे की जानकारी PM किसान से जोड़ सकते हैं|
किसान पंजीयन में गलती होने पर निरस्त किया जा सक्ता हैं|
गिराधावरी एप से खसरा जोड़कर किसान पंजीयन में खसरा जोड़ सकते हैं|
इस प्रकार आप देख सकते हैं कि किसान की सभी समस्याओं का हल प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के किसान पंजीयन केंद्र पर उपलब्ध हैं लेकिन इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए किसान को सभी वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे|
रबी उपार्जन वर्ष 2023-24 हेतु किसान पंजीयन आवेदन डाउनलोड करे :-
मध्य प्रदेश किसान रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन फॉर्म PDF 2023
रबी विपणन वर्ष 2023-24 में समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन पंजीयन की नवीन व्यवस्था
किसानों को फसल बेचने हेतु SMS की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं अब किसान स्वयं स्लॉट बुकिंग कर अपनी पंसद के उपार्जन केन्द्र का चयन और विक्रय हेतु दिनांक तथा समय का चयन कर सकेंगे। स्लॉट बुकिंग व्यवस्था निम्नानुसार रहेगी
दिनांक 23 मार्च 2023 से www.mpeuparjan.nic.in पर स्लॉट बुकिंग की व्यवस्था चालू है।
इस लिंक की जानकारी SMS के माध्यम से मोबाईल पर निरंतर प्रेषित की जा रही है।
पंजीकृत/सत्यापित कृषक स्वयं के मोबाडल/एमपी ऑनलाईन/सीएससी/ग्राम पंचायत/लोक सेवा केन्द्र/इन्टरनेट कैफे/उपार्जन केन्द्र से स्लॉट बुकिंग कर सकेंगे।
स्लॉट बुकिंग हेतु कृषक के ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीकृत मोबाड़ल पर OTP भेजा जाएगा, जिसे पोर्टल पर दर्ज करना होगा।
कृषक अपनी उपज विक्रय करने हेतु दो पारी में से कोर्ड एक पारी (प्रातः 9.00 से दोपहर 1.00 बजे अथवा दोपहर 2.00 से 6.00 बजे) का स्लॉट चुन सकते हैं।
उपार्जन का कार्य सोमवार से शुक्रवार तक किया जाएगा।
कृषक द्वारा फसल विक्रय हेतु बुक सलॉट की वैधता अवधि 3 कार्य दिवस होगी।
किसान द्वारा सलॉट बुकिंग करने के उपरांत उपार्जन केन्द्र का नाम, विक्रय योग्य मात्रा एवं विक्रय की दिनांक की जानकारी का प्रिन्ट निकाला जा सकेगा जिसकी SMS से भी सूचना दी जाएगी।
किसान द्वारा विक्रय की जाने वाली संपूर्ण उपज की स्लॉट बुकिंग एक समय में ही करनी होगी। आंशिक सलॉट बुकिंग/आंशिक विक्रय नहीं किया जा सकेगा।
मोबाइल नंबर से पंजीयन कैसे देखें?
अगर आप मोबाइल नंबर से किसान पंजीयन देखना चाहते हैं तो मोबाइल नंबर से किसान पंजीयन देखने के लिए निम्न स्टेप्स फॉलो करें :-
सबसे पहले एमपी ई उपार्जन की ऑफिशल वेबसाइट पर जाएं।
फिर किसान की जानकारी मेनू पर क्लिक करें|
किसान पंजीयन की जानकारी पर क्लिक करने के पश्चात आपके सामने रबी 2023-24 किसान की जानकारी का पेज खुलेगा|
अब जिला चुनें और किसान का मोबाइल नंबर प्रविष्ट कर कैप्चा कोड प्रविष्ट करें|
किसान सर्च करें पर क्लिक करें अब आपके सामने किसान की जानकारी दिखाई देगी|
आप इसे प्रिंट भी कर सकते हैं|
Frequently Asked Questions :-
अपना किसान पंजीयन कैसे देखें?
एसएमएस के माध्यम से पंजीकरण संदेश बॉक्स में टाइप के लिए प्रारूप है – “किसान GOV REG < नाम > , <राज्य का नाम>, <जिला का नाम>, <ब्लॉक का नाम >” (राज्य, जिला और ब्लॉक के नाम के केवल पहले 3 वर्णों की आवश्यकता होती है) संदेश लिखने के बाद 51969 या 7738299899 पर भेज दें
MP Uparjan 2023 से किसान पंजीयन का आधार OTP प्राप्त नहीं हो रहा| क्या करे?
आधार डेटाबेस वर्तमान मोबाइल नंबर दर्ज नहीं होने के कारण OTP प्राप्त नहीं होगा, ऐसी स्तिथि में वर्तमान चालू मोबाइल नंबर आधार केंद्र / पोस्ट ऑफिस पर जाकर अपडेट कराकर किसान पंजीयन करा सकते हैं|
यदि आधार कार्ड में सही मोबाइल नंबर दर्ज होने पर OTP प्राप्त नहीं होता हैं तो ऐसी स्तिथि में OTP प्राप्त करने के लिए पुनः प्रयास करना होगा | अथवा मोबाइल नेटवर्क बाधित होने पर मोबाइल नेटवर्क के क्षेत्र में जाकर प्रयास करना होगा| OTP प्राप्त ना होने की स्तिथि में बायोमेट्रिक डिवाइस से किसान पंजीयन किया जा सकेगा|
गिरदावरी में दर्ज फसल / रकबा / सिंचित / असिंचित रकबा एवं मौके पर बोई गई फसल रकबा / सिंचित / असिंचित रकबा में अंतर हैं तो क्या करे?
MP Kisan App में दावा आपत्ति के विकल्प का चयन कर सही फसल रकबा / सिंचित / असिंचित रकबा की स्तिथि दर्ज करना होगी| उक्त सम्बन्ध में पटवारी/ तहसीलदार से संपर्क कर सुधार कराकर किसान पंजीयन कराना होगा|
मूल भूस्वामी की मृत्यु हो जाने पर किसान का फसल पंजीयन कैसे होगा?
खातेदार की मृत्यु होने पर वैध वारिस / उत्तराधिकारी के नाम पर भूमि का नामांतरण होने पर ही वारिस के नाम से फसल पंजीयन हो सकेगा|
शामिलाती भू-स्वामी होने पर पंजीयन किस प्रकार किया जायेगा ?
शामिलाती भू-स्वामी होने पर सभी हिस्सेदार अपने-अपने हिस्से में आने वाली भूमि पर बोई गई फसल का पंजीयन कराया जा सकेगा |
किसान की भूमि एक से अधिक जिला/ग्राम में होने पर किसान पंजीयन कैसे किया जा सकेगा ?
यदि किसान की भूमि एक ही जिले के अन्य ग्रामों में हैं तो पंजीयन में दुसरे ग्राम की फसल के रकबे जोड़े जा सकेंगे| यदि की किसान की भूमि अन्य जिला में हैं तो किसान को अपनी समग्र सदस्य आईडी एवं आधार का उपयोग करते हुए दुसरे जिले में भी किसान पंजीयन करा सकते हैं|
किसान पंजीयन में बैंक खाता की जानकारी नहीं ली जा रही हैं तो किसान को भुगतान किस प्रकार किया जायेगा ?
किसान पंजीयन में किसान का आधार कार्ड नंबर लिया जा रहा हैं उस आधार में लिंक बैंक खाते में किसान को अपनी उपज विक्रय का भुगतान किया जाता हैं| इसके लिए किसान को बैंक खाते में आधार लिंक कराना होगा|
MP Online Kiosk / Common Service Center द्वारा किस प्रकार पंजीयन किया जायेगा?
MP Online Kiosk / Common Service Center द्वारा MP Kisan App को Google Play Store से डाउनलोड कर Kisan Panjiyan किया जायेगा|
सिकमी / बटाईदार एवं वन पट्टाधारी किसान के किसान पंजीयन कहाँ किये जायेंगे?
सिकमी / बटाईदार एवं वन पट्टाधारी किसानों के किसान पंजीयन सहकारी समिति/SHG/FPO/FPC द्वारा संचालित पंजीयन पर केन्द्र पर ही किये जा सकेंगे|
किसान द्वारा दर्ज कराये गए नाम व भू अभिलेख डाटा में दर्ज नाम में अंतर होने पर क्या करना होगा ?
किसान द्वारा दर्ज कराया गया नाम आधार से भिन्न हैं तो किसान को आधार केंद्र या पोस्ट ऑफिस में जाकर आधार में नाम संशोधित कराना होगा | किसान द्वारा दर्ज कराया गया नाम भू अभिलेख से भिन्न हैं तो किसान को राजस्व अधिकारी से संपर्क कर भू अभिलेख में नाम संशोधित कराना होगा | नाम का मिलान नहीं होने पर किसान पंजीयन नहीं हो पायेगा |
MP किसान पंजीयन कैसे निकाले?
आप जानना चाहते हैं की किसान पंजीयन कैसे निकालें? तो आप किसान पंजीयन सर्च करने के लिए MP E Uparjan 2023 की वेबसाइट http://mpeuparjan.nic.in/mpeuparjan/ Home.aspx जाकर निकल सकते हैं|
खरीफ फसल का पंजीयन कैसे देखें?
पूर्व बर्ष की भांति सहकारी समिति/SHG/FPO/FPC द्वारा संचालित पंजीयन केंद्र पर जाकर,तहसील कार्यालय मे सुविधा केंद्र पर जाकर, जनपद कार्यालय मे स्थापित सुविधा केंद्र पर जाकर, ग्राम पंचायत मे स्थापित सुविधा केंद्र पर जाकर, स्वयं के मोबइल या कंप्यूटर से पंजीयन हेतु निर्धारित लिंक पर जाकर
MP किसान आईडी क्या है?
केंद्र सरकार (Government of India) किसानों (Farmers) के लिए यूनिक फार्मर आईडी (Unique farmer ID) यानी पहचान पत्र बनाने की तैयारी कर रही है. … इस डेटाबेस के आधार पर किसानों का विशिष्ट किसान पहचान पत्र बनेगा. क्या है सरकार की योजना- केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि अभी इस पर चर्चा ही हुई है.
MP E Uparjan के लाभ तथा विशेषताएं
इस पोर्टल पर राज्य के लोग घर बैठे ही आसानी से अपने कंप्यूटर या मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण करवा सकते हैं।
इस योजना का लाभ राज्य के सभी किसान भाई उठा सकते हैं।
राज्य के किसानमोबाइल ऐप डाउनलोड करके भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
राज्य किसान मध्य प्रदेशई उपार्जन पोर्टल 2023 के माध्यम से किसानों को पंजीकरण करने में किसी भी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना होगा।
ऑनलाइनपोर्टल को शुरू होने से लोगों के समय में और पैसे दोनों की बचत होगी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए किसान इस बार वह 3 तरीके भी बतानी होगी जिनमें अनाज लेकर हुआ खरीदी केंद्र आएगा।
>> Conclusion <<
इस पोस्ट के माध्यम से हमने बताया हैं कि MP E Uparjan 2023 Kisan Panjiyan कैसे करें? मध्य प्रदेश वासियोंके लिए उपयोगी है। इसलिए इस जानकारी को उनके साथ शेयर करें। MP E Uparjan 2023 Kisan Panjiyan से संबंधित सभी जानकारी इस वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई है। आप चाहे तो गूगल पर Nagar Computers सर्च करके भी यहाँ आ सकते है। धन्यवाद !
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हालांकि इस पोस्ट के माध्यम से हमने समस्त जानकारी सही सही देने का प्रयास किया है फिर भी किसी भी अपडेट या सत्य जानकारी के लिए अधिकृत वेबसाइट पर दी गयी जानकारी ही अंतिम होगी.
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मंदसौर। उपसंचालक कृषि कल्याण विभाग द्वारा बताया गया कि, रबी 2022-23 में जिले मन्दसौर में कृषकों द्वारा विभिन्न फसलें अपने खेत में लगाई गई है। साथ ही कृषकों द्वारा अधिसूचित फसलों का फसल बीमा भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत कराया गया है। जिले में वर्तमान में लगातार वर्षा से कुछ खेतों में अतिवर्षा से जलभराव व ओलावृष्टि से फसल नुकसान की सूचना मिल रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत 72 घंटे के भीतर नुसान की सूचना दी जाना अनिवार्य है जिससे अतिवृष्टि के प्रकरणों में कृषकों के खेत का सर्वे कार्य समय सीमा में किया जा सके। कृषक एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी के टोल फ्री नं. 1800 233 7115 पर फसल नुकसान की सूचना दे सकता है या क्रॉप इंश्योरेंस (Crop Insurance) नामक एप प्ले स्टोर से डाउनलोड कर एप पर Continue Without Login अंतर्गत Crop Loss में जाकर मोबाईल नं. की जानकारी एवं ओ.टी.पी. वेरीफिकेशन उपरांत सीजन, वर्ष, योजना, राज्य, जिला, तहसील, रिवेन्यू सर्किल, पटवारी हल्का, ग्राम, फसल, सर्वे नं. की जानकारी के साथ एप पर सबमिट कर सकते है। सभी किसान भाइयों से विनम्र अनुरोध है कि अपनी फसल का फसल बीमा होने पर अतिवर्षा से फसल नुकसान की सूचना अवश्य दें और प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ उठायें।
आजकल लगभग हर घर में माता- पिता और बुजुर्ग के बीच घुटने का दर्द आम समस्या है और उसके लिये, डॉक्टर घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी की सिफारिस करने के लिये स्वतंत्र है, और इसकी कीमत 2 से 3 लाख रूपये है, और इतने महंगे ऑपरेशन से कुछ लोगों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, दर्द में रहना अच्छा नहीं लगता
इसका सबसे सस्ता, उत्तम उपाय
बबूल बीज पाउडर एक चम्मच चूर्ण को गुनगुने पानी में मिलाकर दोपहर और रात के खाने के बाद सेवन करें...
इसके सेवन करने से चंद दिनों में आपके घुटनो में दर्द से राहत मिलेगी